तारीख: साल 2010, स्थान: उत्तर प्रदेश
कहानी की नींव रखी जाती है साल 2010 में, जब आलोक मौर्य, पंचायती राज विभाग में कार्यरत एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, ज्योति के साथ विवाह बंधन में बंधते हैं। ज्योति की आँखों में सपने थे, कुछ बनने की, अपनी पहचान बनाने की। आलोक, जैसा कि वे दावा करते हैं, इन सपनों को पूरा करने में उनका सबसे बड़ा सहारा बने। उन्होंने ज्योति को पढ़ाने-लिखाने का जिम्मा उठाया, उन्हें सिविल सेवा की कठिन डगर पर चलने के लिए प्रेरित किया।
संघर्ष के दिन: 2010 – 2015
यह दौर त्याग और संघर्ष का था। आलोक बताते हैं कि कैसे अपनी सीमित आय के बावजूद, कभी दोस्तों से उधार लेकर, तो कभी अपनी ज़रूरतों को मारकर, उन्होंने ज्योति की कोचिंग और पढ़ाई का खर्च वहन किया। ज्योति को तैयारी के लिए प्रयागराज भेजा गया, जो सिविल सेवा के उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। पति-पत्नी के बीच मीलों की दूरी थी, लेकिन एक साझा लक्ष्य उन्हें बांधे हुए था – ज्योति को एक प्रतिष्ठित अधिकारी के रूप में देखना। इसी दौरान उनकी दो जुड़वां बेटियों का भी जन्म हुआ, जो अक्सर अपने माता-पिता में से किसी एक की कमी महसूस करती थीं।
खुशियों की दस्तक: साल 2015
सालों की अथक मेहनत और आलोक के अटूट समर्थन का फल मिला। साल 2015 में, ज्योति मौर्य ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित पीसीएस (PCS) परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की। उन्होंने 16वीं रैंक प्राप्त की। यह न केवल ज्योति की व्यक्तिगत जीत थी, बल्कि आलोक के त्याग और विश्वास की भी विजय थी। घर में जश्न का माहौल था। ज्योति ने उस समय अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पति आलोक और अपने ससुर को दिया था। आलोक का सीना गर्व से फूल गया था – उनकी पत्नी अब एसडीएम ज्योति मौर्य थीं। एक साधारण सफाई कर्मचारी के लिए यह किसी सपने के सच होने से कम नहीं था।
बदलाव की आहट: 2015 – 2022
एसडीएम बनने के बाद ज्योति की दुनिया बदल गई। नई जिम्मेदारियां, नया रुतबा, और समाज में एक नई पहचान। आलोक के अनुसार, इसी दौरान उन्हें महसूस होने लगा कि ज्योति उनसे दूर होती जा रही हैं। उनके व्यवहार में बदलाव आने लगा था। छोटी-छोटी बातों पर तकरार और मनमुटाव आम होने लगे। वह साझा सपना, जिसके लिए उन्होंने इतनी कुर्बानियां दी थीं, अब कहीं बिखरता हुआ सा नज़र आने लगा था। प्रेम और त्याग की नींव पर टिका रिश्ता अब शक और शिकायतों की गिरफ्त में था।
विस्फोट: जनवरी 2023
साल 2023 की सर्द जनवरी में, यह पारिवारिक कलह एक ज्वालामुखी की तरह फट पड़ी। आलोक मौर्य मीडिया के सामने आए और उन्होंने अपनी एसडीएम पत्नी ज्योति मौर्य पर ऐसे आरोप लगाए, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी:
- अवैध संबंध का सनसनीखेज आरोप: आलोक का सबसे बड़ा और चौंकाने वाला आरोप था कि उनकी पत्नी ज्योति मौर्य का गाजियाबाद में तैनात होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के साथ अवैध संबंध है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इसके पुख्ता सबूत हैं, जिनमें कुछ व्हाट्सऐप चैट और होटल में रुकने के बिल शामिल हैं।
- हत्या की साजिश का गंभीर आरोप: आलोक ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए आरोप लगाया कि ज्योति और मनीष दुबे मिलकर उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं, ताकि वे अपने कथित रिश्ते को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ा सकें।
- भ्रष्टाचार के आरोप: उन्होंने ज्योति पर अपने एसडीएम पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित करने और व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त होने का भी आरोप लगाया। इस संदर्भ में उन्होंने एक डायरी का भी जिक्र किया, जिसमें कथित तौर पर रिश्वत के लेन-देन और काली कमाई का हिसाब-किताब दर्ज था।
ये आरोप जंगल की आग की तरह फैले। सोशल मीडिया पर #JyotiMaurya ट्रेंड करने लगा। लोगों की प्रतिक्रियाएं बंटी हुई थीं। कोई आलोक को ‘बेचारा पति’ बता रहा था, तो कोई ज्योति को ‘बेवफा पत्नी’।
ज्योति का पलटवार: फरवरी – मार्च 2023
आरोपों के इस बवंडर के बीच, एसडीएम ज्योति मौर्य भी चुप नहीं रहीं। उन्होंने आलोक मौर्य और उनके परिवार के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोल दिया:
- दहेज उत्पीड़न का मुकदमा: ज्योति ने अपने पति आलोक मौर्य और उनके ससुराल वालों पर दहेज के लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
- छवि खराब करने और ब्लैकमेलिंग का आरोप: उन्होंने आलोक पर उनकी सामाजिक छवि धूमिल करने, उन्हें बदनाम करने की नीयत से झूठी और मनगढ़ंत अफवाहें फैलाने, उनके मोबाइल फोन की क्लोनिंग करने और उन्हें ब्लैकमेल करने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए।
- तलाक की अर्जी: इन सबके बीच, ज्योति ने प्रयागराज के पारिवारिक न्यायालय में आलोक से तलाक के लिए अर्जी भी दाखिल कर दी, यह स्पष्ट करते हुए कि अब उनके और आलोक के बीच सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची है और वह इस रिश्ते को खत्म करना चाहती हैं।
जांच का शिकंजा और उलझता मामला: अप्रैल – जुलाई 2023
मामला अब सिर्फ पति-पत्नी के बीच का झगड़ा नहीं रह गया था। यह एक हाई-प्रोफाइल केस बन चुका था, जिसकी गूंज शासन के गलियारों तक पहुंच चुकी थी।
- ज्योति मौर्य पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने ज्योति की विभिन्न स्थानों पर तैनाती के दौरान के सरकारी दस्तावेजों और फाइलों को खंगालना शुरू किया।
- होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए। शुरुआती जांच के बाद उन्हें दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया और उनका तबादला गाजियाबाद से महोबा कर दिया गया। (हालांकि, बाद में आई खबरों के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनीष दुबे के निलंबन पर रोक लगा दी।)
मामला दिन-प्रतिदिन और पेचीदा होता जा रहा था। हर दिन कोई नई जानकारी, कोई नया दावा या कोई नया मोड़ सामने आ रहा था, जिससे लोगों की दिलचस्पी और बढ़ती जा रही थी।
कहानी में नया मोड़ – आरोपों की वापसी: अगस्त 2023
अगस्त 2023 में इस कहानी में एक और अप्रत्याशित मोड़ आया। आलोक मौर्य, जिन्होंने अपनी पत्नी पर भ्रष्टाचार और अवैध संबंधों जैसे गंभीर आरोप लगाए थे, अचानक जांच कमेटी के सामने पेश हुए और उन्होंने ज्योति के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित अपनी सभी शिकायतें लिखित रूप में वापस ले लीं।
आलोक के इस कदम ने सबको हैरान कर दिया। मीडिया और सोशल मीडिया पर फिर से कयासों का दौर शुरू हो गया। क्या दोनों के बीच कोई गुप्त समझौता हो गया है? क्या परिवार के दबाव या बच्चों के भविष्य को देखते हुए दोनों ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं? तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान भी कई बार दोनों या उनमें से कोई एक पक्ष अदालत में हाजिर नहीं हुआ, जिससे इन अटकलों को और हवा मिली।
अनसुलझे सवाल और एक सामाजिक बहस: वर्तमान स्थिति
आज भी यह कहानी पूरी तरह से अपने अंजाम तक नहीं पहुंची है। तलाक का मामला और ज्योति द्वारा आलोक पर लगाए गए दहेज प्रताड़ना के आरोप अभी भी कानूनी प्रक्रिया के अधीन हैं।
ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य की यह कहानी कई गहरे और असहज सवाल छोड़ जाती है। यह पूछती है कि महत्वाकांक्षाओं की अंधी दौड़ में क्या हम अपने सबसे करीबी रिश्तों को भी दांव पर लगा देते हैं? क्या त्याग और समर्पण का कोई मोल नहीं होता? या फिर हर कहानी के कई पहलू होते हैं, और सच्चाई अक्सर हमारी सीमित समझ और पूर्वाग्रहों से कहीं अधिक जटिल और परतदार होती है?
यह कहानी एक सबक भी है कि कैसे निजी जिंदगियां जब सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा बनती हैं, तो किरदारों को किस हद तक मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक दबाव झेलना पड़ता है। एक सपना जो कभी दो लोगों ने मिलकर देखा था, वो कैसे शिकायतों, आरोपों और कानूनी दांव-पेंचों के भंवर में उलझकर रह गया, यह वाकई सोचने और आत्ममंथन करने पर मजबूर करता है।